सोमवार, मई 31, 2010

गीत- आज तुम्हारी याद बहुत दिन बाद आयी है


गीत
आज तुम्हारी याद बहुत दिन बाद आयी है
वीरेन्द्र जैन

जैसे भूले भटके कोई दोस्त पुराना घर आ जाये
आज तुम्हारी याद बहुत दिन बाद आयी है

फिर से पहुंच गयी है उम्र उसी मधुवन में
और कूकने लगी उसी स्वर में कोयलिया
फिर से चित्र बनाती हैं सारी स्मृतियां
कब तुमने मुस्काया, कब मुंह फेर हँस दिया
जैसे कोई सहेजा खत, बक्से में अकस्मात मिल जाये
आज तुम्हारी याद बहुत दिन बाद आयी है

फिर से उठी हिलोर अचानक पोर पोर में
फिर से कसकी मन की वो ही पीर पुरानी
फिर से वही कसमसाहट महसूसी मैंने
वक्त फिसलना,मुट्ठी सिर्फ बंधी रह जानी
जैसे बेमौसम, बेबादल सुबह सुबह बारिश हो जाये
आज तुम्हारी याद बहुत दिन बाद आयी है


वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629

रविवार, मई 30, 2010

एक गज़ल नुमा रचना बस्ती के लोग खेलेते पत्थर उछाल कर्


एक गज़लनुमा रचना
बस्ती के लोग खेलते पत्थर उछाल कर
वीरेन्द्र जैन


लगते हैं आम जब भी दरख्तों में डाल पर
बस्ती के लोग खेलते पत्थर उछाल कर

जैसा सिखाओगे उसे वैसा ही करेगा
बच्चा डरा रहा हमें आँखें निकाल कर

चिड़ियाघरों में देखूं कहाँ यह सवाल है
हिरनी सी आँख मुग्ध है हिरनी की चाल पर

जिस जिस ने जो जो पूछा सो उत्तर उन्हें मिले
उठ कर चले गये हैं हमारे सवाल पर

वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629

शुक्रवार, मई 14, 2010

गीत- हमने बहुत बहुत सोचा था


हमने बहुत बहुत सोचा था
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हमने बहुत बहुत सोचा था
कुछ भी नहीं हुआ
हार गये हम सारा जीवन
निकला एक जुआ

धारा का ऐसा प्रवाह था
पकड़न फिसल गयी
चमत्कार की सब उम्मीदें
झूठी निकल गयीं
सीढी जिसे समझते थे हम
निकला एक कुँआ
हमने बहुत बहुत सोचा था
कुछ भी नहीं हुआ

वैसे वही किया जीवन भर
जो मन में ठाना
पुरूषारथ के आगे कोई
भाग्य नहीं माना
पर नारे पड़ गये अकेले
लगने लगे दुआ
हमने बहुत बहुत सोचा था
कुछ भी नहीं हुआ

वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629