गुरुवार, अक्तूबर 07, 2010
गीत बिडम्बना
बिडम्बना
वीरेन्द्र जैन
जन्मभूमि आज़ाद हो गई, अगर अवध में राम की
फिर क्यों नौजवान के आगे खड़ी समस्या काम की
इनकी नहीं अवस्था बदली
बिल्कुल नहीं व्यवस्था बदली
भटक रहे हैं मारे मारे
फुरसत नहीं विराम की
जन्मभूमि आज़ाद हो गई, अगर अवध में राम की
फिर क्यों नौजवान के आगे खड़ी समस्या काम की
व्यापारी लूटे दिन दूना
अफसर लगा रहे हैं चूना
अपराधी नेता मिल खाते
अब भी रोज हराम की
जन्मभूमि आज़ाद हो गई, अगर अवध में राम की
फिर क्यों नौजवान के आगे खड़ी समस्या काम की
झूठे मन, झूठे आन्दोलन
इनसे सुविधा पाते शोषण
सुबह सुबह ये बातें करते
रहें डूबती शाम की
जन्मभूमि आज़ाद हो गई, अगर अवध में राम की
फिर क्यों नौजवान के आगे खड़ी समस्या काम की
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629
सदस्यता लें
संदेश (Atom)