गीत
मेघों की श्याम पताकाएं
वीरेन्द्र जैन
सूरज को क्यों ना दिखलायें
मेघों की श्याम पताकाएं
सारा जल सोख सोख लेता
संग्रहकर्ताओं का नेता
वितरण की व्यर्थ व्यवस्थाएं
सूरज को क्यों ना दिखलायें
मेघों की श्याम पताकाएं
व्यर्थ हुआ अब विरोध धीमा
मनमानी तोड़ गयी सीमा
गरजें ओ बिजलियां गिरायें
सूरज को क्यों ना दिखलायें
मेघों की श्याम पताकाएं
कोई होंठ प्यासा न तरसे
मन चाहे खूब नीर बरसे
वर्षा में भीग कर नहाएं
सूरज को क्यों न दिखलाएं
मेघों की श्याम पताकाएं
वीरेन्द्र जैन 2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के निकट भोपाल [म.प्र.]
9425674629
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