एक गज़ल नुमा रचना
हवाओं ने हवाओं को हवा दी
वीरेन्द्र जैन
बयारें थीं उन्हें आँधी बता दी
हवाओं ने हवाओं को हवा दी
गयी जड़ से न बीमारी तुम्हारी
दबाओं ने अभी बेशक दबा दी
हमें तब तब हुये फोड़े कि जब जब
फलो फूलो, बुजर्गों ने दुआ दी
जिसे विश्वास से पतवार सौंपी
उसी ने बीच में किश्ती डुबा दी
हमारे होश तब से फाख्ता हैं
कि जब से आपने चिलमन उठा दी
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629
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हमें तब तब हुये फोड़े कि जब जब
जवाब देंहटाएंफलो फूलो, बुजर्गों ने दुआ दी
उफ्फ्फ
इस शेर को पढ़ कर स्तब्ध हूँ
हवाओं ने हवाओं को हवा दी
जवाब देंहटाएं--वाह!!
हमें तब तब हुये फोड़े कि जब जब
फलो फूलो, बुजर्गों ने दुआ दी
-गजब कर दिया साहेब!!
आपने बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत की है!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, लाजबाब !
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar Ghazal hai....kya khub sher hain...sabse achha laga:
जवाब देंहटाएंगयी जड़ से न बीमारी तुम्हारी
दबाओं ने अभी बेशक दबा दी
aur
हमें तब तब हुये फोड़े कि जब जब
फलो फूलो, बुजर्गों ने दुआ दी