मंगलवार, दिसंबर 14, 2010
गीत - सांस्कृतिक आयोजन के अवसर
गीत
सांस्कृतिक आयोजन के अवसर आये
वीरेन्द्र जैन
नाच उठे चूहे पेटों में
भूख गीत गाये
ऐसे सांस्कृतिक आयोजन के अवसर आये
वस्त्रों के अभाव में
नारी अंग प्रदर्शन हो
हर निर्धन बस्ती आयोजित
ऐसे फैशन शो
वीतराग हो गये आदमी बिन दीक्षा पाये
ऐसे सांस्कृतिक आयोजन के अवसर आये
हैं धृतराष्ट्र शिखण्डी जैसे
नायक नाटक के
दर्शक की किस्मत में लिक्खे
हैं केवल धक्के
उठती गिरती रही यवनिका दायें से बायें
ऐसे सांस्कृतिक आयोजन के अवसर आये
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मो. 9425674629
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बड़ी ही संवेदनशील कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना . मेरी बधाई स्वीकारें -अवनीश सिंह चौहान
जवाब देंहटाएंअच्छी और सामयिक कविता . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंकविता भी लिखते रहिये.-
"उठती गिरती रही यवनिका दायें ही दायें...
जनता के हिस्से में केवल खलनायक आये...."