गीत
मेघों की श्याम पताकाएं
वीरेन्द्र जैन
सूरज को क्यों ना दिखलायें
मेघों की श्याम पताकाएं
सारा जल सोख सोख लेता
संग्रहकर्ताओं का नेता
वितरण की व्यर्थ व्यवस्थाएं
सूरज को क्यों ना दिखलायें
मेघों की श्याम पताकाएं
व्यर्थ हुआ अब विरोध धीमा
मनमानी तोड़ गयी सीमा
गरजें ओ बिजलियां गिरायें
सूरज को क्यों ना दिखलायें
मेघों की श्याम पताकाएं
कोई होंठ प्यासा न तरसे
मन चाहे खूब नीर बरसे
वर्षा में भीग कर नहाएं
सूरज को क्यों न दिखलाएं
मेघों की श्याम पताकाएं
वीरेन्द्र जैन 2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड अप्सरा टाकीज के निकट भोपाल [म.प्र.]
9425674629
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अच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुन्दर कविता है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंसुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
जवाब देंहटाएंआपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
isiliye dobra chala aayaa
व्यर्थ हुआ अब विरोध धीमा
जवाब देंहटाएंमनमानी तोड़ गयी सीमा
गरजें ओ बिजलियां गिरायें
सूरज को क्यों ना दिखलायें You must know that the prize details kerala lottery