शनिवार, मार्च 13, 2010

गीत - सूरज चाँद पहाड़ नदी सबसे सम्बन्ध हुआ



सूरज चांद पहाड़ नदी सबसे सम्बन्ध हुआ

वीरेन्द्र जैन

जब तक घर था
मैं निर्भर था
अब निर्बन्ध हुआ
सूरज चांद पहाड़ नदी
सब से सम्बन्ध हुआ

सीमित था जब तक जीवित था
रिश्तों को ढोकर
फैल गया मैं कितना कितना
अपनों को खोकर
शीशी फूटी, इत्र फैल सर्वत्र सुगन्ध हुआ
सूरज चांद पहाड़ नदी सबसे सम्बन्ध हुआ

अब आया ये समझ,
हवा इतना इठलाती क्यों
अब मैंने जाना ये नदिया
कल कल गाती क्यों
तभी हो सका आनन्दित जिस रोज अनन्त हुआ
सूरज चांद पहाड़ नदी सबसे सम्बन्ध हुआ


वीरेन्द्र जैन
2/1शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629

6 टिप्‍पणियां:

  1. जब तक घर था
    मैं निर्भर था
    अब निर्बन्ध हुआ
    सूरज चांद पहाड़ नदी
    सब से सम्बन्ध हुआ


    bahut umda bhav samete, sookshm se virat ki or.

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  2. जब तक घर था
    मैं निर्भर था
    अब निर्बन्ध हुआ
    सूरज चांद पहाड़ नदी
    सब से सम्बन्ध हुआ

    आदरणीय ,
    इसी मुक्ति की कामना में लोग मारे मारे फिरते हैं


    शीशी फूटी, इत्र फैल सर्वत्र सुगन्ध हुआ

    इस पंक्ति को मैंने ऐसे पढ़ा तो मुझे अच्छा लगा

    शीशी फूटी,मुक्त इत्र अब सबकी गंध हुआ


    तभी हो सका आनन्दित जिस रोज अनन्त हुआ


    और इस पंक्ति को ऐसे पढ़कर मुझे ज्यादा आनंद आया

    क्या अनंत को जान सका मैं ? क्यों आनंद हुआ !!

    ख्याल रखें यह पाठक का अपने लिए रसोच्छेदन है कवि की निजता पर कोई हस्तक्षेप नहीं है. अन्यथा लें तो अग्रिम खेद स्वीकार करें

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  3. अपने व्यस्ततम क्षणों में से एकाध क्षण मेरी रचताओं को अपनी टिप्पणी से गौरवांवित होने का अवसर प्रदान करें प्रतीक्षा रहेगी

    पत्रकार तो निर्भय होता है । निर्बाध टिप्पणियां स्वीकार करें । वर्ड वेरीफिकेषन हटा दें।

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  4. शीशी फूटी, इत्र फैल सर्वत्र सुगन्ध हुआ
    सूरज चांद पहाड़ नदी सबसे सम्बन्ध हुआ

    Shayad shishi ka footna zaruri hai...warna sugandh failegi kaise...aapki rachna bahut achhi lagi.

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  5. अब आया ये समझ,
    हवा इतना इठलाती क्यों
    अब मैंने जाना ये नदिया
    कल कल गाती क्यों
    तभी हो सका आनन्दित जिस रोज अनन्त हुआ
    सूरज चांद पहाड़ नदी सबसे सम्बन्ध हुआ

    सुंदर गीत .....!!

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